Friday, November 15, 2024

ओलिंपियन पहलवान साक्षी मलिक के साथ स्पेशल इंटरव्यू

इंडिया न्यूज़ (Supriya Saxena), नई दिल्ली | Sakshi Malik :  अब हम साक्षी को आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ चमकते हुए देख सकते हैं, कजाकिस्तान में UWW रैंकिंग सीरीज में ट्रायल्स या UWW गोल्ड मेडल में आपकी जीत के पीछे क्या कारण है।

साक्षी मलिक (Sakshi Malik) से पूछे गए सवाल और उनके जवाब

उत्तर: सबसे पहले तो बिलकुल खुश हूं मैं, क्योंकि 2 साल से मैं स्ट्रगल कर रही थी जीत के लिए। 2 साल हो गए थे मुझे अपनी टीम में जगह बनाए हुए। जब कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल्स थे तो बस यही था कि कैसे भी करके मुझे जीतना हैं और मैं जीती। उस ट्रायल से मेरा काफी कॉन्फिडेंस बढ़ा। उसके बाद रैंकिंग सीरीज में मेरा गोल्ड आया। तो हां, कॉन्फिडेंस पिछले 2 सालों से कम लग रहा था या खत्म ही हो गया था, बैक टू बैक हार मिलने के बाद। बिलकुल दोनो टूर्नामेंट ने मेरी मदद की मेरा आत्मविश्वास बूस्ट अप करने के लिए।

2. दो साल के दिल टूटने के बाद, राष्ट्रमंडल खेलों 2022 के लिए आपकी क्या उम्मीदें हैं। तैयारी कैसी चल रही है?

उत्तर: मेरी तैयार बहुत अच्छी चल रही हैं और इस बार पूरी उम्मीद है कि गोल्ड जीत कर आऊंगी। ये मेरा तीसरा कॉमनवेल्थ गेम्स होगा। इससे पहले मेरे पास ब्रॉन्ज हैं, सिल्वर भी है, तो इस बार मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी कि गोल्ड जीतकर लाऊं।

3. आपने जनवरी 2017 में आयोजित प्रो रेसलिंग लीग के दूसरे संस्करण में ‘कर्ल्स दिल्ली सुल्तान्स’ का प्रतिनिधित्व किया … इन स्पोर्ट्स लीग पर आपका क्या विचार है … क्या वे वास्तव में खेलों में एक नई सुबह के रूप में नजर आएगा।

उत्तर: बिलकुल जो लीग होती थी वो काफी अच्छी होती थी, क्योंकि बहुत सारे देशों से वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक मेडलिस्ट आते थे और हम उनके साथ लड़के थे, ट्रैकिंग करते थे। हमारी मिट्टी और हमारे देश में उनके साथ लड़ना और हमारी खुद की आॅडियंस होती थी, तो बहुत अच्छा लगता था। काफी यूथ और आने वाले रेसलर्स को भी हौंसला मिलता था कि, “हमें भी लीग में पार्टिसिपेट करने का मौका मिल सकता है।

4.एडलिन ग्रे महान अमेरिकी पहलवान आपकी टीम में थी। आपने उसे देखकर बहुत कुछ सीखा… आपका अनुभव क्या था… आपके पति भी लीग में खेलते थे। आप लोग साथ में अभ्यास करते थे। यह कितना अच्छा था?

उत्तर: बहुत अच्छा अनुभव था और एडेलिन ग्रे मेरी टीम की कप्तान भी थी और हम चैंपियन भी बने थे। एडेलिन से बहुत कुछ सीखने को मिला, आज भी वो बहुत अच्छी फ्रेंड हैं।

5 . इंस्पिरेशन जो आप आने वाले रेसलर्स को देंगी, जो आपके जैसे बनना चाहते हैं?

उत्तर : मैं उन्हें कहना चाहूंगी कि जो भी आप हासिल करना चाहते हैं आप बिलकुल पा सकते हैं। लेकिन आपको उसके लिए हार्ड वर्क, डिसिप्लिन और संयम से काम करना होगा। अगर आप काम 100% करोगे तो आप बिलकुल गोल को अचीव कर सकते हो।

6. हम हाल ही में कुलदीप मलिक से मिले और उन्होंने उस पल का वर्णन किया जब पदक जीतने के बाद आपको अपने कंधों पर बिठा लिया था.. आप इस पल को अभी भी याद करती हैं?

Sakashi Malik With Coach Kuldeep Malik
Sakashi Malik With Coach Kuldeep Malik

उत्तर: बिलकुल, वो अभी तक मेरी लाइफ का बेस्ट मोमेंट था, ओलंपिक मेडल जीतने के बाद कुलदीप सर ने कंधों पर बैठाकर चक्कर लगाया था। मेरा सपना था कि मैं ओलंपिक मेडल जीतंू। अपने तिरंगे को मैं लहराऊं। बहुत अच्छा एक्सपीरियंस था अभी तक का बेस्ट था।

7. सत्यवंद-साक्षी, पावर कपल फ्री स्टाइल भारतीय पहलवान आज हमारे साथ हैं इसलिए प्रो रेसलिंग लीग में आप दोनों एक साथ थे कॉमरेडशिप डेयर और अन्य बुद्धिमान भी कैसे थे?

उत्तर: बहुत अच्छा लगा था हम दो बार एक टीम में भी हुए हैं, आउट अपोजिट टीम में भी हुए हैं। काफी फन गेम था वो, बहुत सारा एक्सपीरियंस हुआ क्योंकि बहुत सारे वर्ल्ड चैंपियन, ओलंपिक मेडलिस्ट आते थे जिनके साथ हुक कंपीट करते थे। हम दोनों आपस में भी कंपीट करते थे, में चाहती थी की मेरी टीम जीते, ये चाहते थे कि इनकी टीम जीते।

8. कैसा महसूस होता है जब आपको जीत के बाद स्टेडियम में झंडा लेकर दौड़ने का मौका मिलता है।

उत्तर: वो फीलिंग हम कभी वर्ड्स में बता नहीं पाएंगे। बहुत कुछ किया हैं दुनिया में लेकिन जब वो मेडल जीत कर, तिरंगा झंडा लेकर चलते हैं तो वो अलग लेवल की फीलिंग होती हैं।

9. एक को अर्जुन से सम्मानित किया गया और दूसरा पद्मश्री, आप जूनियर साक्षी या जूनियर सत्यव्रत को क्या कहना चाहेंगी ?

उत्तर: बस यही कहना चाहेंगे की आप जो भी अचीव करना चाहते हो आप कर सकते हो। आप जिस भी फील्ड में हो तो जरूर कुछ न कुछ बड़ा अचीव करने की कोशिश करो।

10: आप 62 किलो वेट कैटेगरी में सिलेक्ट हुई हैं, 57 कैटेगरी से जीत के… ये सीमाएं तोड़ने और आगे बढ़ने की प्रेरणा कहां से आती हैं?

उत्तर: जैसा कि मैंने पहले भी कहा, पदक जीतने के हौंसले से और हमारे देश के झंडा अपर लहराने से मिली हैं प्रेरणा।

12. सत्यव्रत आपकी क्या उम्मीदें है कॉमनवेल्थ 2022 से, आपको क्या लगता हैं कितने मेडल आने वाले हैं इस बार?

उत्तर। मैं तो यही चाहता हूं कि पूरा देश प्राथना करे कि जो हमारे 12 रेसलर्स हैं, वो सब ही गोल्ड लाए।

13. आप एक विनम्र बैकग्राउंड से आते हैं, आपकी एक संघर्ष कहानी है, जैसा कि आपने एक बार बताया था कि एक बार प्लेन में उड़ान भरना आपका सपना था.. और फिर आपने कुश्ती को अपने जुनून और पेशे के रूप में लिया.. आप क्या सुझाव देंगी जनरल जेड के लिए जो बहुत आसानी से अधीर हो जाता है।

उत्तर: कोई भी चीज अचीव करने के लिए ऐसा नहीं होता की, आज हमने मेहनत करनी शुरू कि और कल वो हमें मिल जाए। ये एक बहुत लंबी जर्नी है। बहुत स्ट्रगल हैं, कोई शॉर्टकट नहीं हैं हैं ज्यादा हार्डवर्क हैं, सालों-साल लग जाते हैं। मुझे 14 साल लग गए थे, मेडल जीतने के लिए। मैं बस यही कहना चाहूंगी कि जल्दी से कभी कुछ नहीं मिलता, अगर आप बार-बार लगातार मेहनत कारोगे तो सब अचीव कर सकते हो।

14. इतने सालों से अपने आप को कहीं एक ऐसे जोन में पाया हैं जहां आपको लगा कि आप कुछ खो रहीं हैं, कुछ हार रहीं हैं, आपने इसको कैसे ओवरकम किया? और आज हम आपको इतना फिट देख रहे हैं, उसमें एक अलग ही साक्षी नजर रही हैं।

– बस, अपने आप को और माइंड को पॉजिटिवली मेंटेंड रखा। और मुझे यह लगता था कि मैंने रेसलिंग में पहले अच्छा किया हैं और मैं आगे और अच्छा करना चाहती हूं, तो बस यही सोच रहीं थी की एंड तो इतना बुरा नहीं सो सकता। मैं पिछले 2 सालों से हार रही हूं, लेकिन मन में यही था कि आगे कुछ न कुछ अच्छा जरूर करना होगा। घर वालों के साथ और कोच के साथ ने मुझे एक पॉजिटिव अप्रोच रखने के लिए मोटिवेट रखा।

15. देश को प्रतिनिधित्व करने पर बहुत अधिक दबाव होता है, और आपके मामले में आपसे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद की हैं, “अब गोल्ड तो बना ही है”। तो आप इस दबाव और अपेक्षाओं को कैसे संभालती हैं?

– काफी सारे मुकाबले खेल चुकी हंू। लगभग 18 साल हो गए हैं मुझे रेसलिंग करते हुए। अब आदत भी हो चुकी हैं, बेशक प्रेशर होता हैं लेकिन उतना ही अच्छा भी लगता हैं जब मैच जीतती हूं तो बस प्रेशर को साइड रखकर यही सोचती हंू कि जो भी हमने मेहनत की हैं उसको पूरा 100% से मैच में दिखाए।

16. राष्ट्रमंडल खेलों के लिए आपका मार्ग बहुत आसान नहीं था और आपको सोनम मलिक को हराने और खेलों में अपना स्थान सुनिश्चित करने के लिए पांच मुकाबलों का समय लगा। हमें परीक्षणों के बारे में बताएं और आपने इसे कैसे पार किया

बिलकुल, जबसे ट्रायल्स का पता चला था तो काफी प्रेशर था। बस यही था कि मैं जो भी पिछले कुछ मैचेस में कर रही थी सोनम से या एक दो और आॅपोनेंट्स से, उन गलतियों को दोहराना नहीं था। मैंने अपनी गलतियों में काफी सुधार किया। और काफी पॉजिटिव अप्रोच थी।

17. टीम के लिए एक चेयर उप

– टीम के लिए यही है – गुडलक! इस बार इंडिया ज्यादा से ज्यादा गोल्ड मेडल लाए।

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Harpreet Singh
Harpreet Singh
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