इंडिया न्यूज़ (Supriya Saxena), नई दिल्ली | Bajrang Punia : हेलो। आज हमारे साथ मौजूद हैं एक बहुत ही एहम पर्सनैलिटी, jinka बहुत बड़ा योगदान रहा हैं भारत में स्पोर्ट्स की तरक्की के लिए भारत का नाम बढ़ाने में। जी हां हम बात कर रहे हैं बजरंग पुनिया की।
बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) से पूछे गए सवाल और उनके जवाब
1. राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में अपनी तैयारी के बारे में बताएं।
उत्तर: बिलकुल अच्छी तैयारी चल रही हैं कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए। सोनीपत में एक कैंप लगा हुआ हैं, तो अच्छी तैयारी चल रही हैं। जो इंजरी थी उसे भी रिकवर हो गया हूं तो उम्मीद करते हैं को पहल 2019-20-21 में रही हैं परफॉर्मेंस उसे दोबारा दोहराए और कॉमनेल्थ गेम्स एक अच्छी शुरुवात करे।
2. आप खेल से पहले प्रशिक्षण के लिए यूएस जाएंगे, तो हमें बताएं कि क्यों आपने तैयारी के लिए यूएस को अपने गंतव्य के रूप में चुना था?
उत्तर: मैंने US इसलिए चुना हैं क्युकी वहा पर पार्टनर्स अच्छे होते हैं, में पहले भी वहां जाता था वहां अच्छी सुविधाएं हैं। अगर मैं इंडिया में रहता हू तो ऐसे अवसर आते रहते हैं जहां मुझे जाना पड़ता हैं जैसे शादी या बर्थडेस तो डिस्ट्रैक्शन रहती हैं यहां पर। इसलिए गेम्स से पहले ये कोशिश रहती हैं की मैचेस से पहले हम ट्रेनिंग करे एक फोकस के साथ, जिससे मैं गेम मैं अच्छा परफॉर्म करू।
3. आपके अनुसार राष्ट्रमंडल खेलों में आपका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी और सबसे पेचीदा प्रतिद्वंद्वी कौन होगा?
उत्तर: देखिए जब भी एथलीट अपनी कंट्री के लिए पार्टिसिपेट करते हैं तो वो मेडल के लिए ही करता हैं , वो ट्रेनिंग भी मेडल के लिए ही करता हैं। इसलिए कोई भी ऑपोनेंट कमजोर नहीं हैं, और हमें किसी भी अपोनेंट को कमज़ोर माही आंकना चाहिए। जब हम मैट पर जाते हैं तो जो 6 मिनट्स होते हैं वो डिसाइड करते हैं की कोन अच्छा है। अभी मैंने ऑपोनेंटस की लिस्ट नहीं दिल्ली हैं, लिस्ट देखने के बाद पता लगेगा कि कोन अपोनेंट हैं और किसके साथ हमें किस तरह खेलना हैं।
4. प्रो रेसलिंग लीग ने आपको कठिन चुनौतियों के लिए तैयार करने में कितनी मदद की है?
उत्तर: जबसे प्रो लीग स्टार्ट हुई थी, मेरे ख्याल से 4 सीज़न हुए थे, तो इंडियन रेसलर्स को एक अच्छा प्लेटफार्म मिला था की वो वर्ल्ड चैंपियन और ऑल्पियंस के साथ यहां खेल सके। PWL एक ऐसा प्लेटफॉर्म था जहां हमें गलती को आगे सुधारने का मौका मिला। मैं उम्मीद कर हू की वो अभी बार फिर शुरू हुए, और भारतीय खिलाड़ी वहां खेल कर भारत के लिए अपना योगदान दे।
5.आप सामान्य रूप से इस प्रकार की लीगों के लिए क्या महसूस करते हैं, क्या वे देश में खेलों के उत्थान में प्रमुख भूमिका निभाती हैं?
उत्तर: देखिए जब भी मैं कोई कंपटीशन खेलने के लिए जाता हूं तो आपका बेस्ट करने की कोशिश करता हूं, क्युकी 130 करोड़ भारतीयों का आशीर्वाद और दुवाएं हमारे साथ होता हैं। तो हमारा यही माइंडसेट रहता हैं की छोटे या बड़े टूर्नामेंट में जाए तो मेडल जीत कर लाए। मुझे लगता हैं सभी देशवासी उम्मीद करते हैं की बजरंग मेडल जीत कर लाएगा, मुझे इस बात का प्रेशर नहीं बल्कि गर्व होता हैं की में इस पोजीशन में हू कहां लोग मुझसे उम्मीद कर रहे हैं, जिससे मुझे मोटिवेशन मिलता हैं देश के लिए कुछ करने का।
6. आप अपने कोच शाको बेंटिनिडिस से अलग हो गए हैं जिनके साथ आपने ओलंपिक कांस्य और एशियाई खेलों का स्वर्ण जीता है, क्या कारण है? और आपका नया कोच सुजीत मान शाको से कैसे अलग है?
उत्तर: देखिए शाको एक बहुत ही अच्छे कोच थे आर 3-4 साल हम साथ में रहे हैं और काफी अच्छा एक्सपीरियंस रहा मेरा उनके साथ। कोई भी कोच जो चाहे इंडियन या फॉरेन तकनीक सेम ही रहती हैं पर खेलने का तरीका अलग होता हैं हर आदमी का। सुजीत भी 74 में खेले थे इंडिया के लिए, एक नंबर पहलवान हैं, अर्जुन अवॉर्डी हैं और शाकों भी 74 में खेलते थे ये भी अच्छे पहलवान थे।
सुजीत मान भी काफी अच्छे कोच हैं इंडिया टीम के साथ जुड़े हैं काफी टाइम तक। और आज वो मेरे साथ जुड़े हुए हैं, उनको बहुत अच्छा एक्सपीरियंस भी हैं। तो कोशिश यही हैं की उनकी गाइडेंस को मैं फॉलो करूं और मैं जो भी वो हटाए वो सीखने में कामयाब रहूं। शाको का भी लड़ने का जो तरीका था वो भी अच्छा था उनकी काफी यूनिक टेक्नीक्स थी। मेरी कोशिश यही रहती हैं की जिसे भी रेसलिंग की जानकारी हो चाहे छोटा या बड़ा सबसे मैं कुछ सीख सकू। बेशक, दोनो ही कोचेस अच्छे हैं।
7. आपकी पसंदीदा तकनीक क्या है?
उत्तर: मैं ये मानता हूं की समय पर जो तकनीक लग जाए वो सबसे अच्छी है, जो हमें कुश्ती जीतने में तकनीक काम आए वो सबसे अच्छा है। मुझे ये लगता है की मैं 6 मिनट कुश्ती में बना रहु और तब तक मैं हर नहीं मानता, मेरी कोशिश ये होती हैं की मैं सबसे अच्छा करू। तो जो तकनीक समय पर लग जाए मेरे लिए वो बेस्ट हैं।
8. अपने प्रशिक्षण के बारे में कुछ बताएं कि यह कैसा चल रहा है और क्या आपको लगता है कि प्रशिक्षण पर्याप्त है?
उत्तर। सुबह शाम ट्रेनिंग चल रही है काफ़ी हार्डवर्क हो रहा है। मैं काफ़ी टाइम से दूर था ट्रेनिंग से इंजरी की वजह से तो वो कॉम्पेंसेट भी करना है। उम्मीद है की हम वापस उस फॉर्म मैं आएंगे और देश के लिए मेडल जीतेंगे।
9. इन टूर्नामेंटों में अपने जीवन साथी का आपके आसपास होना कैसा लगता है?
उत्तर। बिलकुल अच्छा लगता है क्युकी वो भी इसी फील्ड से है और जब हम साथ में कोई भी चीज़ करते है तो काफी हेल्प मिलती हैं एक दसरे से। और वो रेसलिंग फैमिली से है, काफी नाम है फोगट फैमिली का। क्यूकी वो भी पहलवान है तो एक दसरे को समझने में काफ़ी मदद मिली है।
10. बजरंग पुनिया अपने जूनियर बजरंग पुनिया को क्या राय देना चाहेंगे?
उत्तर। जब भी हमारा बच्चा होगा तो हम उसे कुश्ती में डालेंगे, क्योंकि हमें वेस्टलिंग का पता है तो हम अपना अनुभव उपयोग दे सकते हैं। वो तो उसकी इच्छा होगी की वो क्या चुनेगा/चुनेगी। हमारी कोशिश रहेगी कुश्ती में करे पर जो भी उसकी इच्छा होगी हम उसमें उसका साथ देंगे।
11. आप उन माता-पिता को क्या संदेश देना चाहेंगे जो कभी-कभी अपने बच्चों को खेल खेलने से हतोत्साहित करते हैं और उन्हें पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते हैं।
उत्तर। मैं ये नहीं कहूंगा की आप उन्हे स्पोर्ट्स प्लेयर बनाए। पर उनकी हेल्थ और फिटनेस के लिए उन्हे 1-2 घंटा जरूर खिलाएं। पढाई के साथ साथ खेल भी जरूरी है। और ये पहले की सोच हुआ करती थी की खेल में भविष्य नहीं हैं। जब बच्चा स्पोर्ट्स खेलता हैं तो सरकार भीं उसकी मदद करती हैं, स्टेट और सेंटर गवर्नमेंट दोनो ही। काफी बदलाव आ गया हैं। अब मां बाप की सोच बदल रही रही है क्योंकि अब लड़कियां भी मेडल जीत रही हैं।
12. वो फीलिंग कैसी होती है जब आप झंडे को लेकर स्टेडियम में भागते हैं, और मेडल जीतते हैं?
उत्तर। देखो वो अहसास शब्दो में बयान नहीं करा जा सकता, वो सबसे बेहतरीन पल होता है एक खिलाड़ी के लिए, और जब सभी देशवासी गर्व से हमें झंडे को सलाम करते हैं तो काफ़ी अच्छा लगता है। एक एथलीट की लाइफ में इससे बेहतर भी कुछ होगा मुझे नहीं लगता।
13. बजरंग आप हमें बताते कि आपका रूटीन कैसा हैं, कई सारे स्पोर्ट्सपर्सन और पहलवान हैं आपके जैसा बनना चाहते हैं तो आपका रूटीन जान के उन्हे खुशी होगी।
उत्तर। सबसे पहले अनुशासन हैं, फिर डाइट हैं और सबसे ज़रुरी महंत हैं। ये सारी चीजें होंगी तब भी हम अच्छा कर सकते हैं, चाहे आप खिलाड़ी हैं या कोई और फील्ड में हैं।
14. बजरंग आप एक विनम्र बैकग्राउंड से आते हैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित हैं, कैसा रहा है और सफ़र यहां तक पहुचने का?
उत्तर। काफ़ी उतार चढ़ाव आए हैं लेकिन बहुत अच्छा अनुभव रहा हैं। मैं मानता हू की भगवान ने मुझे इस मुकाम पर पहुचाया हैं तो इसलिये मैं खुदको भाग्यशाली मानता हू। लोगो के साथ और प्यार ने, भाग्य ने अच्छा साथ दिया है। और हर आदमी को मेहनत करनी चाहिए चाहे वो कोई सी बी फील्ड में हो। भगवान किसी की मेहनत का कभी नी रखता हैं। हम भगवान की मजदुरी कर रहे हैं और भगवान हमारी मजदुरी के बदले हमें कुछ ना कुसी ज़रूर देता हैं। आप मेहनत करते रहिए चाहे आप किसी भी फील्ड में हो आपको फल जरुर मिलेगा।
15. कोई यादगार लम्हा जिसे आप आज भी याद करते हैं?
उत्तर। जब बचपन में मैंने शुरू किया था तो परिवार को इतना पता नहीं था पर फिर भी बहुत समर्थन किया। कभी ये नहीं बोला की हम अफोर्ड नहीं कर सकते, क्योंकि पापा खेती करते थे और मम्मी गृहिणी थी और मेरा बड़ा भाई भी घर पर ही रहता था। अगर मैं कुश्ती नहीं कर रहा होता तो शायद खेती कर रहा होता या जॉब कर रहा होता। तो मैं धनवाद करता हूं अपने माता पिता का जिन्होने मुझे इतना आगे बढ़ने में इतना संघर्ष किया, कभी कुश्ती छोडने को नी बोला क्योंकि वो अफोर्ड नहीं कर सकते थे।
16. आप अपने हरियाणवी प्रशंसकों और cwg की टीम को हरियाणवी में क्या बताना चाहेंगे?
उत्तर। “भाई लठ गाड़ दो”
17. हमने हाल ही में सुना है कि आप वीज़ा संबंधित मुद्दों से परेशान हैं, इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर। मेरा वीज़ा खो गया हैं, मुझे ज्यादा नहीं पता ये अधिकारी ही बता सकते हैं। आज न्यूज में भी एक लेख आया था की बजरंग गुस्सा हैं पर ऐसा बिलकुल नहीं हैं। बस ये वीज़ा की वजह से ट्रेनिंग मिस हो रही हैं। आज मेरा वीज़ा आया हुआ हैं शाम को मैसेज आया की की आपका वीज़ा आ गया हैं। मैं बिलकुल गुसा नहीं था बस ये था की वीज़ा होता तो ट्रेनिंग अच्छी हो जाति।
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