India News, KIYG 2021 Panchkula : खेलों इंडिया यूथ गेम्स 2021 में कल एक चाय स्टाल विक्रेता की बेटी, काजोल सरगर ने स्वर्ण पदक जीता। काजोल सरगर ने बताया की उसका तीन साल पहले तक खेल के साथ एकमात्र रिशता था, उसने बताया की वह अपने बड़े भाई संकेत ट्रेन को भारोत्तोलक के रूप में देखने के लिए उसके साथ पास के किसी व्यायामशाला में जाती थी।
काजोल सरगर ने रविवार को पंचकुला में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में पहली स्वर्ण पदक विजेता बनने के बाद अपना अहम बयान दिया है उन्होंने कहा की, “मेरे भाई मुझसे पांच साल बड़ा है। मैंने उससे पहले कभी अपने खेल के बारे में बात नहीं की।”
काजोल सरगर ने रूपा हांगंडी से ली प्रेरणा
मैने पहले इस गेम को देखा तो मैनें सोचा की यह मुझे भी खेलना चाहिए। काजोल सरगर ने कहा की, “खेलो इंडिया यूथ गेम्स में रूपा हांगंडी की सफलता के बारे में जानने के बाद मुझे भी लगा कि मुझे भारोत्तोलन का प्रयास करना चाहिए”।काजोल, जो अब मयूर सिंहसाने की निगरानी में प्रशिक्षण ले रही हैं, ने औरतों के 40 किग्रा वर्ग में कुल 113 किग्रा भार उठाकर महाराष्ट्र के पदक तालिका में पहला स्थान हासिल कर लिया है।
काजोल अपने तीसरे प्रयास में स्नैच में केवल 50 किग्रा वजन ही हासिल कर सकीं और असम की रेखामोनी गोगोई से थोड़ा पीछे रह गई, जिन्होंने क्लीन एंड जर्क में दो किलोग्राम ज्यादा वजन हासिल किया था।
रेखामोनी को पीछे छोड़ जीता स्वर्ण पदक
बाद मे काजोल ने क्लीन एंड जर्क में 60 किग्रा और 63 किग्रा वजन उठाकर पोडियम में पहले स्थान पर पहुंच गई। रेखामोनी (109 किग्रा; 52 किग्रा स्नैच, 57 किग्रा क्लीन एंड जर्क) तीसरे पायदान पर लुडक गई। रेखामोनी को अरूणाचल की सांडिया गुगंली ने कुल 111 (47 किग्रा स्नैच, 63 किग्रा क्लीन एंड जर्क) वजन उठाकर दुसरा पादान हासिल कर लिया था। साडिया गुगंली 111 किग्रा वजन के साथ रजक पदक विजेता रही।
वर्ष के शुरुआत में ही हो गई थी चोटिल काजोल
आपको बता दे की काजोल ने अगस्त 2021 में पटियाला में यूथ अंतरराष्ट्रीय में कांस्य पदक को हासिल किया था, लेकिन 2022 के आरंभ में ही काजोल के हाथ में चोट लग गई थी लेकिन पुरी तरह से ठीक होने के बाद से काजोल ने लक्ष्य को हासिल करने पर पुरा जोर दिया और इस मुकाम तक पहुंच पाई।
काजोल ने कहा की, “मैं प्रशिक्षण के दौरान 70 किग्रा उठाने का प्रयास कर रही थी और चोटिल हो गई। मैं दो महीने से अधिक समय तक कोई काम नहीं कर सकी। और मैं खेल से बाहर रही। मार्च में भुवनेश्वर में आयोजित हुई नेशनल से भी चूक गई। यह खिताब जो मैने हासिल किया है यह मेरी तीन वर्ष की मेहनत का नतीजा है। मैं नेशनल लेवल पर भी अधिक मेहनत करने के लिए तैयार हुं”।
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