(नई दिल्ली): मोरक्को की टीम ने वर्ल्ड कप सेमीफाइनल हारने के बावजूद न सिर्फ फुटबॉल के दिग्गजों के बीच अपनी मौजूदगी पूरी शिद्दत से दर्ज कराई बल्कि दुनिया भर में खेल प्रेमियों के दिल भी जीत लिए। उसके अंतिम चार में पहुंचने की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन अपने ऐतिहासिक अभियान में कदम दर कदम दिग्गजों को जमींदोज करने वाली मोरक्को टीम ने देश के फुटबॉल इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया।
क्रोएशिया, बेल्जियम, स्पेन और क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पुर्तगाल के सफर पर विराम लगाकर मोरक्को यहां तक पहुंचा था। तीसरे स्थान के विजेता को $27 मिलियन डॉलर यानी 220 करोड़ की पुरस्कार राशि मिलेगी, जो चैंपियन को मिलने वाली राशि से $15 मिलियन कम है।
फाइनल की विजेता टीम की इनामी राशि
इस विश्व कप में 32 टीमों के बीच 440 मिलियन डॉलर प्राइज मनी बांटी जाएगी। विजेता और उपविजेता को जीत में कुल $72 मिलियन का उच्चतम भुगतान होगा। रविवार को फ्रांस और अर्जेंटीना के बीच होने वाले फाइनल की विजेता टीम को 42 मिलियन डॉलर यानी 347 करोड़ का नकद पुरस्कार मिलेगा।
तो वहीं उपविजेता टीम के लिए 30 मिलियन डॉलर की इनामी राशि रखी गई है। रिपोर्टों के अनुसार, हर टीम को पुरस्कार राशि में कम से कम $9 मिलियन प्राप्त होंगे।
मोरक्को का यह सफर रहेगा यादगार
वर्ल्ड कप के इतिहास की सबसे यादगार गाथाओं में गिना जाएगा मोरक्को का यह सफर। सेमीफाइनल से पहले इस टीम ने किसी विरोधी खिलाड़ी को गोल नहीं करने दिया। सेमीफाइनल से पहले दो खिलाड़ियों के चोटिल होने का खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा।
डिफेंडर नायेफ अगेर्द प्रैक्टिस के दौरान चोटिल हो गए जबकि कप्तान रोमां साइस 21 मिनट बाद ही हैमस्ट्रिंग चोट के कारण बाहर हो गए।
मोरक्को के राष्ट्रगीत से गुंजायमान हुआ स्टेडियम
स्टेडियम के भीतर उसके समर्थकों की तादाद देखकर लग रहा था मानों लाल सैलाब उमड़ आया हो। वर्ल्ड कप सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम के समर्थन में उसके प्रशंसकों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। मोरक्को का राष्ट्रगीत जब स्टेडियम में बजा तो शोर से पूरा आसमान गुंजायमान हो गया। मोरक्को के खिलाड़ियों ने भी जुझारूपन की पूरी बानगी पेश की।
फ्रांस जैसी दिग्गज टीम को उसने आसानी से अपने गोल में सेंध नहीं मारने दी। लेकिन आखिर में फ्रांसीसी टीम का अनुभव मोरक्को के जोश पर भारी पड़ा। मोरक्को के कोच वालिद रेग्रागुई ने कहा,‘मेरे खिलाड़ियों ने सब कुछ दे दिया। वे यहां तक पहुंच गए। वे इतिहास रचना चाहते थे लेकिन चमत्कारों से वर्ल्ड कप नहीं जीता जाता। मेहनत के बल पर यह संभव है और हम आगे भी कड़ी मेहनत करते रहेंगे।’