इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
Virat’s coach gave big react on Jadeja and Ashwin : आज रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन की जोड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खतरनाक साबित हो रही है। श्रीलंका के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट में इन दोनों ने श्रीलंका को एक तरह से ध्वस्त कर दिया। बल्लेबाजी की तरह ही गेंदबाजी में भी पार्टनरशिप काफी मायने रखती है। दोनों की आपसी समझबूझ का ही नतीजा है कि इन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक जोड़ी की तरह खूब विकेट हासिल हुए हैं।
जडेजा और अश्विन की जोड़ी का इन देशों में होगा सही इम्तिहान (Virat’s coach gave big react on Jadeja and Ashwin)
देखने में आया है कि इस जोड़ी की तुलना कुम्बले और हरभजन की जोड़ी से की जाने लगी है, जो मेरे ख्याल से ठीक नहीं है। कुम्बले-भज्जी की जोड़ी साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया में भी सफल रही है। जाहिर है कि जडेजा और अश्विन की जोड़ी का सही इम्तिहान इन देशों में होगा। वहां यदि ये दोनों अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो फिर आप इनकी तुलना के बारे में सोच सकते हैं। वैसे मेरा शुरू से मानना रहा है कि दो अलग-अलग समय में प्रदर्शनों की तुलना करना ठीक नहीं है।
मोंटी पनेसर 2012 में भारतीय दौरे पर शानदार गेंदबाजी की
सेना देशों में अगर सपोर्टिंग विकेट मिलता है तो ही ये दोनों एक साथ खेल सकते हैं। वैसे ज्यादातर टीमें वहां एक ही स्पिनर खिलाती हैं। जहां तक विदेशी टीमों के भारत में स्पिन से सफल होने का सवाल है तो मैं यहां इंग्लैंड की टीम का नाम लेना चाहूंगा क्योंकि मोंटी पनेसर और ग्रेम स्वान ने 2012 में भारतीय दौरे पर शानदार गेंदबाजी की और भारत को भारत में हराने में बड़ी भूमिका निभाई।
इन दोनों स्पिनरों की वजह से हारा था भारत अपने घर में
दरअसल आखिरी बार भारत अपने घर में इसी टीम से इन दोनों स्पिनरों की वजह से हारा। इन दोनों गेंदबाजों की पार्टनरशिप देखते ही बनती थी। एक छोर से एक गेंदबाज दबाव बनाने का काम करता था जिसका दूसरे छोर पर गेंदबाज को फायदा मिलता था। दोनों की कामयाबी की एक वजह यह भी थी कि दोनों गेंदबाजी में गति देते थे। हो सकता है कि यह सब उन्होंने कुम्बले से सीखा हो। लेकिन वहीं शेन वॉर्न को भारत में उतनी कामयाबी शायद इसलिए नहीं मिल पाई क्योंकि उन्हें दूसरे छोर पर स्पिन पार्टनर का उतना सहयोग नहीं मिल सका।
स्पिनरों में मुझे बिशन सिंह बेदी ने सबसे ज्यादा किया था प्रभावित
भारतीय स्पिनरों में मुझे बिशन सिंह बेदी ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। उनके बाद मैं सबसे ज्यादा मनिंदर सिंह की गेंदबाजी से बहुत प्रभावित हुआ। उन्हें गेंद को ड्रिफ्ट करने के बाद अच्छा उछाल मिलता था। उनके साथ शिवरामकृष्णन दूसरे छोर पर गेंदबाजी किया करते थे। कभी फ्रंटफुट पर भी एलबीडब्ल्यू आउट नहीं दिया जाता था लेकिन अब काफी कुछ बदल चुका है। मेरा मानना है कि अगर उस समय डीआरएस होता तो उस समय के स्पिनरों के विकेटों की संख्या और भी ज्यादा होती।
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