इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
New rules apply in cricket : हर खेल में समय समय पर बदलाव होते रहने चाहिए क्योंकि इससे उस खेल मेंरोमांच बना रहता है। क्रिकेट में वैसे भी तीन फॉर्मेट होते हैं, ऐसे में खेल के नियमों को सरल किया जाना जरूरी है। इसीलिए कभी 30 गज के दायरे में चार फील्डर तो कभी पांच फील्डर रखे जाने लगे। अब कुछ और बदलाव किए गए हैं जो समय की जरूरत है। अब नया बल्लेबाज ही स्ट्राइक लेगा।
अब बल्लेबाज के आउट होने पर स्ट्राइक नहीं होगी चेंज
पहले होता यह था कि उसके बड़ा शॉट लगाने और आउट होने पर स्ट्राइक नॉन स्ट्राइक के बल्लेबाज को मिल जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यानी अब फील्डिंग साइड को फायदा मिलेगा। मेरे ख्याल से वर्ल्ड कप 2019 के वर्ल्ड कप में जो कुछ हुआ, वहां बदलाव लाया जाना जरूरी है। तब रन दौड़ते समय ओवरथ्रो पर गेंद उनके बल्ले से लगकर बाउंड्री पार कर गई थी जिस पर अम्पायर ने छह रन दिये थे। ऐसे नियम में होना जरूरी है।
LBW होने पर अम्पायर्स कॉल नहीं होगी (New rules apply in cricket)
इसके अलावा अम्पायर्स कॉल जैसे मामले भी अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं। अम्पायर्स कॉल निर्भर करता है सम्भावना पर। अगर गेंद के विकेट पर लगने की 50 फीसदी सम्भावना हो तो वहां आउट दिया जाता है और अगर इससे कम की सम्भावना होती है तो अम्पायर्स कॉल दी जाती है।
गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले बल्लेबाज के क्रीज से बाहर जाने पर उसे दिया जा सकता है आउट
इसी तरह आईसीसी का नियम 38 मांकडिंग से संबंधित है। अब गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले नॉन स्ट्राइक के बल्लेबाज के क्रीज से बाहर निकलने पर उसे गेंदबाज आउट दे सकता है। अब उसे रन आउट में शामिल किया गया है। अब नॉन स्ट्राइक पर खड़ा बल्लेबाज ज्यादा सतर्क रहेगा। हां, इससे अम्पायर का काम जरूर बढ़ जाएगा। वीनू मांकड़ के सुपुत्र राहुल मांकड़ सहित पूरे परिवार ने एक लम्बी लड़ाई लड़ी कि इस तरह से आउट होने में मांकडिंग शब्द का इस्तेमाल न किया जाये।
रिवर्स स्विंग के लिए अब सिर्फ पसीने का इस्तेमाल करना होगा
तीसरा बड़ा बदलाव स्लाइवा के इस्तेमाल पर रोक है। पहले अक्सर देखा जाता था कि चिंगम खाकर स्लाइवा के इस्तेमाल से खासकर रिवर्स स्विंग में मदद ली जाती थी लेकिन अब आप सिर्फ पसीने का इस्तेमाल ही कर सकते हैं। दरअसल मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब इस खेल के कस्टोडियन की तरह है। सारे नियम वहीं तय करता है। वहां से ये नियम आईसीसी की तकनीकी समिति के पास आते हैं। फिर इसे आईसीसी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स इन्हें लागू करने की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं।
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