India News(इंडिया न्यूज), SuryaKumar Yadav: 29 जून को बारबाडोस में टी20 विश्व कप जीतकर भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने क्रिकेट इतिहास में एक नया अध्याय शुरू किया। मेन इन ब्लू ने फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को सात रनों से हराकर दूसरा टी20 विश्व कप अपने नाम किया। इस जीत ने भारतीय टीम के 11 साल के आईसीसी ट्रॉफी के सूखे को भी समाप्त कर दिया. इससे पहले इंडिया ने 2013 में ICC चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम किया था.
29 जून को खेले गए टी20 के फाइनल मैच में दोनों टीमों के जीतने के आसार थे। लेकिन भारतीय टीम के गेंदबाजी के आगे साउथ अफ्रीका की टीम टीक नहीं पाई। मैच के दौरान ऐसा लगा कि एक बार फिर टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूटता हुआ दिखाई दे रहा है. हेनरिक क्लासेन ने ताबड़तोड़ पारी खेली और अक्षर पटेल के खिलाफ एक ही ओवर में 24 रनों बना डाले. क्लासेन की पारी ने दक्षिण अफ्रीका को जीत की कगार पर ला खड़ा किया। जब मैच भारत से दूर होता दिख रहा था तब हार्दिक पांड्या ने टीम इंडिया की मैच में वापसी कराई। पांड्या की गेंद क्लासेन के बल्ले के किनारे से लग कर विकेटकीपर ऋषभ पंत के हाथों में चली गई।
ICC टूर्नामेंट का बेस्ट कैच
हालांकि, डेविड मिलर की फिनिशिंग क्षमता को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका अभी भी मैच में बनी हुई थी. अंतिम ओवर में जब साउथ अफ्रिका को 16 रन चाहिए थे तो डेविड मिलर ने पहली ही बड़ा हिट लगाकर मैच को अपने पक्ष में करना चाहा. इस खिलाड़ी ने पहली गेंद को लॉन्ग ऑफ की ओर हिट करते हुए खेल को अपने कब्जे में करने का इरादा बनाया। वह अपने इस मकसद में कामयाब होते हुए भी दिखाई दे रहे थे। लॉन्ग ऑफ की ओर खेले गए शार्ट में गेंद हवा में उड़ रही थी, हर कोई यह देखकर हैरान था कि अगर गेंद बॉउड्री के पार गिरती है तो भारत के हाथ से यह मैच काफी दूर चला जाएगा।
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लेकिन लॉन्ग ऑफ बाउंड्री पर सूर्यकुमार यादव के शांत दिमाग ने उन्हें दबाव में सबसे बेहतरीन कैच लेने में मदद की। सूर्यकुमार ने बाउंड्री की ओर जा रही गेंद को पकड़ा और तुरंत ही गेंद को बाउंड्री के इस पार फेंक दिया। हालांकि, इसके तुरंत बाद बाउंड्री से बाहर आकर ICC इवेंट के इतिहास में सबसे बेहतरीन कैच लिया। उनके शानदार प्रयास की बदौलत भारत ने वापसी की और विश्व कप फाइनल में सबसे बड़ी जीत दर्ज की। सूर्यकुमार यादव के कैच ने लोगों को 1983 के विश्व कप फाइनल में कपिल देव के ऐतिहासिक कैच की याद दिला दी।
1983 विश्व कप में कपिल देव का कैच
1983 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच फाइनल मैच के दौरान वेस्टइंडीज के स्टार बल्लेबाज विव रिचर्ड्स 184 रनों का पीछा करते हुए 33 (27) रनों की तेज पारी खेलकर मैच जीत रहे थे। हालाँकि, उन्होंने मदन लाल को डीप मिड-विकेट की ओर खेला जहाँ कपिल देव ने पीछे की ओर दौड़ते हुए एक शानदार कैच पूरा किया और भारत को उनके क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम काल में पहुँचाया। कपिल देव के इस कैच ने खेल को पूरी तरह से बदल दिया क्योंकि वेस्टइंडीज 140 रनों पर ढेर हो गया और भारत ने 1983 में अपना पहला विश्व कप जीता। कपिल के शक्तिशाली वेस्टइंडीज को हराने की कहानी को खेल इतिहास की सबसे बड़ी अंडरडॉग कहानियों में से एक कहा जाता है, जिसमें भारत ने दो बार के विश्व चैंपियन को हराया।
41 साल बाद सूर्यकुमार ने लिया फाइनल में टर्निग प्वाइंट वाला कैच
41 साल बाद, सूर्यकुमार यादव ने भी अंतिम ओवर में अपने खेल को बदलने वाले कैच से भारत की किस्मत बदल दी। कपिल के कैच ने भारतीय क्रिकेट की सूरत हमेशा के लिए बदल दी, वहीं सूर्यकुमार यादव ने भारतीय क्रिकेट की 11 साल के सूखे को खत्म कर दिया, जब टीम आईसीसी खिताब के लिए काफी समय से इंतजार कर रही थी। भारतीय क्रिकेट अपने क्रिकेट इतिहास में एक और शानदार अध्याय शुरू कर रहा है, कपिल देव और सूर्यकुमार यादव को अपनी शानदार फील्डिंग से टीम की किस्मत बदलने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।