(नई दिल्ली): कल यानी 18 दिसंबर को लियोनेल मेसी का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया है. जी हां फीफा वर्ल्ड कप 2022 के फाइनल में फ्रांस को हराकर अर्जेंटीना ने तीसरी बार वर्ल्ड कप जीत लिया है. अपको बता दे कि इस चमत्कार के लेखक लियोनेल मेसी हैं, जिन्होंने अपने दमपर टीम को चैम्पियन बनाया और 36 साल के बाद अर्जेंटीना का सपना पूरा कर दिया.
साउथ अमेरिका के सबसे दक्षिणी हिस्से में करीब 5 करोड़ की आबादी वाला देश अर्जेंटीना में आज खुशी का माहौल है. दुनिया का सबसे ज्यादा देखे जाने वाला खेल फुटबॉल, जिसका वर्ल्ड कप जीत अर्जेंटीना ने इतिहास रच दिया है. अर्जेंटीना का हर नागरिक एक शख्स के साथ खड़ा है, जिसने उनके सपने को फिर से जिया है, जो दुनिया में उस देश की सबसे बड़ी पहचान है जिसने एक बिखरे हुए देश को नई उम्मीद दी. उनका नाम है लियोनेल मेसी.
यदि अर्जेंटीना के इतिहास को उठाकर देखेंगे तो यह देश हमेशा ही राजनीतिक और आर्थिक मुश्किलों से जूझता रहा है. साल 1983 में अर्जेंटीना में सही तरह से लोकतंत्र आया, उससे पहले करीब 6 बार ऐसा हुआ कि सरकार बनी, लेकिन सेना ने तख्तापलट कर दिया और सत्ता को अपने कब्जे में कर लिया. 1983 में अर्जेंटीना में लोकतंत्र आया, जो बरकरार रहा.
1983 के बाद जब अर्जेंटीना पुराने जख्मों को भुलाकर आगे बढ़ रहा था, इसी के कुछ वक्त बाद 24 जून 1987 को यहां एक बच्चे का जन्म हुआ. रोजारियो के मिडिल क्लास परिवार में जन्मे Lionel Andrés Messi यानी लियोनेल मेसी. जिन्हें दुनिया मौजूदा वक्त का सबसे बेहतरीन फुटबॉलर करार देती है. मिडिल क्लास परिवार से निकले मेसी ने कैसे फुटबॉल की दुनिया पर अपना सिक्का जमाया इसकी भी अपनी एक पूरी कहानी है, इस कहानी में खोने का वक्त आ गया है.
अपको बता दे कि लियोनेल मेसी के पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे, जबकि मां सफाई का काम करती थीं. हालांकि, फुटबॉल का माहौल घर में था क्योंकि पिता भी एक क्लब को कोचिंग देते थे. ऐसे में लियोनेल मेसी खुद 5 साल की उम्र में एक क्लब के साथ जुड़ गए, जहां उन्होंने इस खेल के बेसिक्स को सीखा. 8 साल की उम्र में मेसी ने अपना क्लब चेंज किया और न्यूवैल ओल्ड बॉयज़ क्लब से जुड़े. लेकिन कुछ वक्त बाद एक ऐसी घटना घटी, जिससे हर कोई हैरान रह गया.
11 साल की उम्र में लियोनेल मेसी को एक बीमारी का पता चला, जिसका नाम ग्रोथ हार्मोन डेफिसिएंसी था. इस बीमारी का असर अगर मेसी पर होता तो शायद दुनिया एक शानदार फुटबॉलर से मिल नहीं पाती. इस बीमारी में किसी भी शख्स की प्रगति रुक जाती है, 11 साल की उम्र में अगर मेसी इसकी चपेट में आते तो वह बौने रह जाते.
तब परिवार के पास इतना पैसा भी नहीं था कि इसका खर्चा उठा सके. इस बीच लियोनेल मेसी की बतौर फुटबॉलर ग्रोथ जारी थी, रिवर प्लेट ने मेसी को अपने साथ रखने की बात कही. लेकिन वह मेसी की दवाइयों का खर्च नहीं उठा सकता था, इस बीच मेसी की किस्मत बदली.
फुटबॉल क्लब बार्सिलोना उस वक्त छोटे बच्चों पर नज़र रख रहा था, जो फुटबॉल में कमाल कर रहे थे. टैलेंट हंट के तहत छोटे शहरों, स्कूल, कॉलेज और अलग-अलग क्लब में ऐसा किया जाता है.