वैभव शुक्ला, नई दिल्ली IND won gold 1st time in lawn ball : राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में भारतीय महिला लॉन बॉल टीम ने इतिहास रच रचते हुए पहली बार गोल्ड मेडल जीत लिया है। भारतीय नारियों की इस टीम में लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी सैकिया और रूपा रानी टिर्की की चौकड़ी शामिल है। चारों ने मिलकर फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 17-10 से हराया और लॉन बॉस में पहली बार स्वर्ण पदक हांसिल कर लिया है।
भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में 92 साल के बाद लॉन बॉल्स में पहला पदक जीता है। सेमीफाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को बाहर का रास्ता दिखाकर फ़ाइनल में जगह पक्की की थी। लॉन बॉल्स ने आए स्वर्ण पदक को मिलकर देश के पास अब चौथा स्वर्ण पदक हासिल हुआ। भारत ने तीन रजत और तीन कांस्य भी जीते हैं। इस तरह कुल 10 पदक भारत के पास हैं।
5 महीने पहले शुरू की प्रैक्टिस
पहली बार भारतीय टीम ने 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया था। जहां टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। मुकाबले के बाद खिलाड़ियों ने बताया कि “पिछली तीन बार से कामयाबी नहीं मिलने के कारण हमें सरकार से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। बर्मिंघम की तैयारी लॉन बॉल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से 5 महीने पहले यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शुरू की थी।”
टूर्नामेंट से 4 दिन पहले पहुंचे बर्मिंघम
बता दें कि “यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान लॉन बॉल्स के लिए तैयार किया गया था। उस समय ऑस्ट्रेलियाई कोच ने भारतीय टीम को एक साल का प्रशिक्षण दिया था। लेकिन उसके बाद से टीम को कोई कोच नहीं मिला। जिसकी वजह से खिलाड़ियों ने बिना कोच के ही प्रैक्टिस की। बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होने के लिए भी टीम टूर्नामेंट से चार दिन पहले पहुंच गई थी और चार दिन लगातार ग्रीन ग्राउंड पर पसीना बहाया।
जानिए क्या है लॉन बॉल
लॉन बॉल एक आउटडोर गेम है। पहले यह प्राचीन मिस्र में खेला जाता था और अब यूरोपीय देशों में काफी प्रचलित है। लॉन बॉल में गेंद को एक छोटी स्थिर गेंद की ओर घुमाया जाता है, जिसे जैक कहा जाता है। जैक का दूसरा नाम ‘लक्ष्य’ भी है। जैक एक छोटी गेंद होती है, जिसका डायामीटर 63-67 मिलीमीटर का होता है। वहीं, बड़ी बॉल का डायामीटर 112-134 मिलीमीटर का होता है।
1930 से राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल
बॉल का वजन करीब डेढ़ किलो का होता है। यह एक तरफ ज्यादा भारी होती है, ताकि खिलाड़ी इसको कर्ल या घुमा सकें। यह गेंद कभी एक सीध में नहीं लुढ़कती। 1930 से ही यह खेल राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा रहा है। हालांकि 1966 में किसी कारणवश इसे शामिल नहीं किया गया था।
पीले रंग की गेंद होती है लक्ष्य
पीले रंग की गेंद ‘जैक’ या लक्ष्य होती है। लाल और नीले रंग की गेंदों से एक तय दूरी से उसपर निशाना साधा जाता है। खिलाड़ी को अलग-अलग रंगों की बॉल को 23 मीटर की दूरी से लक्ष्य के पास पहुंचाना होता है। जिस खिलाड़ी की बॉल लक्ष्य के सबसे पास पहुंचती है, उसे अंक मिलता है। हर खिलाड़ी बारी-बारी से बॉल लुढ़काते हैं। लॉन बॉल चार तरीके से खेला जाता है। एकल, युगल, तीन की टीम और चार की टीम खेलती हैं।
गेंद के करीब पहुंचने वाला विजेता
पुरुष और महिला दोनों का खेल अलग होता है और दोनों के लिए अलग पदक होते हैं। अंकों का इस खेल में ज्यादा योगदान नहीं होता है। सामान्य बात है, जिस देश का खिलाड़ी जैक के जितनी करीब पहुंच जाता है, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। एक मैच में अगर कोई खिलाड़ी पहले 21 नंबर हासिल कर लेता है तो फिर वह विजेता बन जाता है। इसके अलावा युगल और अन्य गेम में 18 नंबर हासिल करने होते हैं।
12वें एंड में भारत ने की वापसी
भारतीय महिला टीम ने मुकाबले में 8-2 की बढ़त हासिल कर दक्षिण अफ्रीका पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। लेकिन आठवें एंड में दक्षिण अफ्रीका ने वापसी करते हुए छह अंक हासिल कर मैच को 8-8 की बराबरी पर ला दिया। फिर 11वें एंड में दक्षिण अफ्रीका ने दो अंक और हासिल कर मैच में 10-8 की बढ़त बनाई। इस समय लग रहा था कि गोल्ड मेडल दक्षिण अफ्रीकी टीम लेकर जाएगी। 12वें एंड में भारतीय टीम ने दो अंक हासिल कर मुकाबले में बराबरी कर ली। इसके बाद भारतीय टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सात अंक जीतकर मुकाबले में 17-10 से जीत कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
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