इंडिया न्यूज़, (मनोज जोशी) Anderson Peter Neeraj’s biggest obstacle : जिस खिलाड़ी का ओलिम्पिक के स्वागत समारोहों के सिलसिले में तकरीबन 14 किलो वजन बढ़ गया हो, जिसने विश्व सर्किट में अन्य एथलीटों के मुकाबले देरी से ट्रेनिंग शुरू की हो, वही एथलीट अगर एक महीने में दो बार अपना नैशनल रिकॉर्ड सुधारने में कामयाब हो जाए, जिस डायमंड लीग के सात पड़ावों की असफलता को वह स्टॉकहोम में सफलता में बदल दे, 90 मीटर के अद्भभुद कारनामे के वह बेहद करीब (89.94 मी.) करीब पहुंच जाए और वर्ल्ड चैम्पियनशिप के तमाम एथलीटों में दूसरे स्थान पर रहते हुए फाइनल में जगह बना ले तो उसे क्या कहेंगे आप… चमत्कार, जीत का जज्बा या कुछ और।
क्या नीरज 113 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे ?
यहां बात नीरज चोपड़ा की हो रही है। उन नीरज चोपड़ा की जो इन दिनों ओरेगॉन में चल रही वर्ल्ड चैम्पियनशिप में अगर गोल्ड जीतने में सफल हो गए तो वह 113 साल के इतिहास के दुनिया के अकेले ऐसे एथलीट बन जाएंगे जिन्होंने एक ही समय में ओलिम्पिक और वर्ल्ड चैम्पियनशिप का गोल्ड अपने नाम किया हो लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है।
ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर नीरज के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा हैं। उन्होंने इस साल हर मुकाम पर न सिर्फ नीरज को पीछे छोड़ा है बल्कि इस साल दोहा और स्टाकहोम डायमंड लीग में 90 मीटर के बैरियर को अच्छे खासे अंतर से पार किया है। दोहा में तो उन्होंने 93.07 के प्रदर्शन के साथ नया रिकॉर्ड भी कायम किया है जबकि यही एथलीट टोक्यो ओलिम्पिक के फाइनल के लिए भी क्वॉलीफाई नहीं कर पाया था।
ये दोनों अंडर 20 के दिनों से एक दूसरे के जबर्दस्त राइवल रहे हैं लेकिन सीनियर वर्ग में नीरज का सिक्का ज्यादा चला। वहीं एंडरसन इसी साल एक अलग ही अंदाज में सामने आए हैं जहां उनके प्रदर्शन के आस-पास भी कोई दिखाई नहीं देता।
टोक्यो ओलिम्पिक में प्रवेश करने के लिए नीरज को बढ़ाना होगा 20 किलो वजन
नीरज और एंडरसन में एक बुनियादी फर्क यह है कि रनवे पर उनकी स्पीड और आर्म स्ट्रैंथ में एंडरसन नीरज से बेहतर है। उनकी स्पीड इसलिए अच्छी है क्योंकि वह उसेन बोल्ट को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हीं से प्रेरित होकर सौ मीटर की दौड़ 10.5 सैकंड में पूरी कर लेते हैं। हालांकि नीरज ने इन दोनों क्षेत्रों में अब पहले से काफी सुधार कर लिया है। स्ट्रैंथ के लिए वह 140 किलो वजन उठाकर स्कवैट करते हैं।
हालांकि यह वजन टोक्यो ओलिम्पिक में उनकी तैयारी की तुलना में तकरीबन 20 किलो कम है लेकिन इसके अभ्यास से उनके कंधे मजबूत हुए हैं। रनवे पर स्पीड बढ़ी है। विपरीत परिस्थितियों में बढ़िया प्रदर्शन करने, मानसिक दृढ़ता और इंजरी के मामले में वह कम से कम एंडरसन से बेहतर हैं। अगर इंजरीज ने एंडरसन का पीछा न छोड़ा होता तो निश्चय ही वह आज ओलिम्पिक या वर्ल्ड चैम्पियन होते।
वैसे नीरज ने पावो नूरमी गेम्स में 89.30 मी. के प्रदर्शन के साथ इस चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने की उम्मीदें पैदा कर दी थीं और जब उन्होंने स्टॉकहोम डायमंड लीग में 89.94 मी. (90 मीटर से छह सें. मी. दूर) का प्रदर्शन किया तो यह तय हो गया था कि यह जांबाज एथलीट इस बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कुछ ऐसा करने जा रहा है जो उनसे पहले किसी भारतीय एथलीट ने नहीं किया। यानी 2003 में अंजू बॉबी जॉर्ज के लॉन्ग जम्प इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल की कामयाबी से भी बेहतर। अभी तक अंजू ही अकेली ऐसी भारतीय एथलीट रही हैं जिन्हें इस प्रतिष्ठित चैम्पिनशिप में कोई मेडल हासिल हुआ है।
आर्म स्पीड तेज करने के लिए हल्के जैवलियन का इस्तेमाल करते है नीरज चोपड़ा
नीरज की जैवलिन का एंगल आम तौर पर 34 से 36 डिग्री रहता है, जो आदर्श है जिससे वह लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में उन्होंने जैवलिन के रिलीज का एंगल बेहतर किया है। आर्म स्पीड तेज करने के लिए वह हल्के जैवलिन (700 ग्राम) का इस्तेमाल करते हैं जो सीनियर वर्ग के जैवलिन के वजन से तकरीबन सौ ग्राम कम होता है।
टोक्यो ओलिम्पिक से पहले हल्के जैवलिन से उन्हें आर्म स्पीड बढ़ाने में मदद मिली थी। उनके जर्मन कोच ने रन अप पर उनकी स्पीड बढ़ाने में भी काफी मदद की यही वजह है कि कुओर्टेन गेम्स में 86.69 मीटर के प्रदर्शन से उन्होंने फिसलन भरे रनवे के बावजूद गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
एंडरसन पीटर के अलावा जर्मनी के जूलियन वैबर और चेक रिपब्लिक के जाकुब वाडलेच उनके अन्य प्रतिद्वंद्वी हैं। जाकूब टोक्यो ओलिम्पिक में नीरज के बाद दूसरे स्थान पर रहे थे लेकिन एक सच यह भी है कि वह 2017 की वर्ल्ड चैम्पियनशिप वाली फॉर्म (89.73 मी.) से काफी दूर हैं। वहीं जर्मनी के जूलियन वैबर बुधवार को क्वॉलिफाइंग दौर में नीरज के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।
यह वक्त है दुआयों का। यह वक्त है इस जांबाज एथलीट के लिए प्रेयर करने का क्योंकि वह इतिहास रचने से महज एक कदम की दूरी पर हैं।
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